प्रताप के रणक्षेत्र हल्दीघाटी को संरक्षण की दरकार
खमनोर । वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की रणधरा हल्दीघाटी के विकास का हो हल्ला विगत कई दशकों से चल रहा है लेकिन आज भी रक्त तलाई से राष्ट्रीय स्मारक तक फैली हल्दीघाटी संरक्षण के उचित अभाव में पर्यटकों से वीरान सी नजर आती है। एक्का दुक्का अगर कोई देशभक्त रक्त तलाई पहुँच गया तो अपवाद हो सकता है।
वन,पर्यटन,लोकनिर्माण,पुरातत्व सहित पंचायत समिति के चुंगल में समय के साथ समूची योजनाएं उलझ कर रह गई है। 1997 से 21 जून 2009 को बन कर तैयार राष्ट्रीय स्मारक जिसे महाराणा प्रताप स्मृति संस्थान संचालित कर रहा है अब उससे स्मारक को कौन संरक्षित करेगा ?हल्दीघाटी विकास में हुए भ्रष्टाचार के जवाब खोज पाने में पूर्व की सरकार विफल रही तो शायद यह सरकार कुछ तो स्वाभिमानी कदम उठा ले जवाब खोज पाये ।
haldighati.blogspot.com पर मौजूद सबूतों के बावजूद भी चारागाह जमीन आवंटित होना बड़े घोटाले का संकेत है। हल्दीघाटी के स्वाभिमान की रक्षा वर्तमान सरकार कर सकती है यदि रक्त तलाई से राष्ट्रीय स्मारक तक पर्यटक को सुविधाएं व वास्तविक विकास किया जाये।