होली – रंगों की बौछार | Season of Happiness!

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होली - रंगों की बौछार | Season of Happiness!

होली त्यौहार फाल्गुन मास की पुर्णिमा को मनाया जाता है । यह त्यौहार दो दिन चलता है । पहले दिन होली जलायी जाती है, जिसको होलिका दहन भी कहते है । दूसरे दिन लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल आदि डालते है , ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते है , और घर-घर जा कर लोगो को रंग लगाया जाता है । ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी दुश्मनी को भूल  कर गले मिलते है औरफिर से दोस्त बन जाते है । बच्चे, बूढ़े सभी लोग संकोच और रूिढ़याँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीर की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंग मैं डूब जाते है । चारो तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है ।

मशहूर मुिस्लम पयर्टक अलबरूनी ने भी अपने यात्रा – स्मरण में होली का वर्णन किया है, भारत के अनेक मुस्लिम कवियों ने अपनी रचनाओ में इस बात का उल्लेख कि या है कि होली केवल हिन्दू ही नही मुसलमान भी मनाते ह। अकबर जोधाबाई के साथ तथा जहाँगीर नूरजहाँ के साथ होली खेलते थे। इतिहास में वर्णन है की शाहजहाँ के ज़माने मे होली को ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी (रंगो की बौछार) कहा जाता था। अंतिम मुगल बादशाह बहादूर शाह ज़फ़र के बारे मैं प्रसिद्धि है कि होली परउनके मंत्री उन्हें रंग लगाने जाया करते थे। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद मई इस दिन होली जलाई जाती है ।होली - रंगों की बौछार | Season of Happiness!

भारतीय ज्योतिष के अनसार होली के दूसरे दिन से नववर्ष भी आरंभ माना जाता है । इस प्रकार यह त्यौहार नव सवंत का
आरंभ तथा वसंता गमन का प्रतीक है। होली के दिन पहला काम किसी चौराहा या समाज के चौक में होली गाड़नी होती है । इस दिन चौराहा पर तथा जहा लकड़ी एकत्र की जाती है, फिर होली के दिन शुभ मुहुर्त पर होलिका का दहन होता है, होलिका के दहन से पहले उस गड़ी हुए होली के आसपास सभी लोग लकड़िया एकत्र करते है । तथा इसी समय गांव मे लोगो के फसल पकाने का समय होता हे और पकाती है इसलिए इस आग मई नई फसल की गेहूँ की बलियों और चने के होले को भी भूना जाता है। होलिका-दहन समाज की समस्त बुराइयों का प्रतिक है ।होली - रंगों की बौछार | Season of Happiness!

यह बुराईयो पर अच्छाइयों का सूचक है गांव मैं लोग देर रात तक होली के गीत गाते है तथा नाचते है ।  होली से अगले दिन लोग रंगों से खेलते है। सुबह होते ही सब अपने मित्रो और रिश्तेदार से मिलने निकल पड़ते है, गुलाल और रंगों से सबका स्वागत करते है । लोग अपनी ईर्ष्या और रोग दोष की भावना को भुलाकर प्रेम भाव और प्रेम से गले मिलते है और एक दूसरे को होली की सुभकामनाये देते है तथा एक-दूसरे को रंग लगाते है ।

इस दिन जगह-जगह पर लोग टोलियो में जाकर रंग बिरंगे कपडे पहन कर होली खेलते है, बच्चे पिचकारियों से एक दूसरे पर रंग छोड़कर अपना मनोरंजन करते है। सारा समाज होली के रंग में रंगकर एक-सा बन जाता है । रंगों के साथ खेलने के बाद दर दोपहर तक लोग नहाते और शाम को नए कपडे पहनकर सबसे मिलने जाते है । होली के दिन लोगो के घर में खीर, पूरी तथा अनेक मिठाइयाँ बनाई जाती है । बेसन के सेव और दहीबडे भी सामान्य रूप से उतर प्रदेश में रहने वाले हर परिवार में बनाए व खिलाए जाते है । होली के दिन लोग भाँग और ठंडाई पीते है । यह त्यौहार ख़ासकर उत्तर भारत में मनाया जाता है ।

राजस्थानब्लॉग की तरफ से आप सभी को होली की सुभकामनाये…..

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