मेवाड़ की धरती अपने अदम्य शोर्य से पहचानी जाती है, इसी धरती पर भक्ति की दीवानगी भी है, यहाँ भाव है आतिथ्य सत्कार का सम्मान का,
यहाँ द्रवित होते है हृदय दूसरे की पीड़ा को देखकर, यहाँ आज भी पैदा होते है भामाशाह जो अपना सर्वस्व समर्पित करने को आतुर रहते है इस धरा पर इस धरा पर जन्म लेने वालों के लिये
ऐसे ही एक भामाशाह से मिलने का सोभाग्य प्राप्त हुआ हमें महाराणा प्रताप की रणभूमि खमनोर के समीप के टांटोल ग्राम में
ये भामाशाह ना नर है ना नारी ये है एक किन्नर जिनका नाम है रेखाबाई, मोलेला निवासी किन्नर रेखाबाई इस क्षेत्र में “भुआ” के नाम से पहचानी जाती है
टॉंटोल ग्राम पंचायत में आंगनवाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता से प्रेरित हो कर क्षेत्र की किन्नर रेखा बाई ने सभी छात्र छात्राओं को स्कूली गणवेश वितरित किये।
किन्नर रेखाबाई के बारे में अधिक जानकारी एकत्रित करने पर पता चला की सभी के मंगल की कामना करने वाली रेखा बाई विगत कई वर्षों से सामाजिक सहयोग में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही है।
टांटोल के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती इंद्रा परेवा ने कहा कि रेखा बाई की शिक्षा के प्रति जागरूकता से आमजन को प्रेरणा लेनी चाहिए।
जिससे समाज का सर्वाँगिन विकास हो ग़रीब बच्चों को उनकी शिक्षा का पुरा अधिकार मिले व ग़रीब तबके से आने वाले बच्चें भी समाज की मुख्यधारा से जुड़े

ऐसे सह्रदय भामाशाह को कोटि कोटि साधुवाद
आशा करता हूँ इनसे समाज के अन्य लोग भी प्रेरणा लेंगे, समाज को उत्कृष्ट बनाने में सहयोग करेंगे
जय हिन्द जय मेवाड़