दोहरी नागरिकता की समाप्ति के साथ ही आज लम्बे समय बाद वास्तविक रुप में अखण्ड़,संप्रभुत्व भारत की छवि बनी है। भारत सरकार के देश हित में किये गये इस ऐतिहासिक निर्णय का समर्थन के साथ ही विरोध भी हो रहा है। विरोध उसी पक्ष द्वारा किया जा रहा है या जायेगा जो देश से अलग है। आजादी के बाद जम्मू कश्मीर प्रांत को तत्कालीन सरकार के कुछ पदाधिकारियों की वजह से विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रावधान संविधान में रख वहां का अलग संविधान बना दिया गया। उसी विशेष दर्जे वाले अधिकारों के चलते स्वर्ग जैसे हमारे कश्मीर में रहने वाले कुछ देशद्रोहियों की बदौलत सीमा पार से घुसपैठिये,आतंकवादियों की आवाजाही बढ़ गयी।
दंगे- फसाद,आतंकी हमलों में कितने ही वर्षों से कश्मीर जलता रहा है। न जाने कितने ही मासूम मौत की घाट उतार दिये गये। यहां तक कि जम्मू कश्मीर भारत का ही भाग होकर भी वहां के लोग हमारे तिरंगे को नही लहराते। यूं लगता था कि आजादी के बाद भारत को ऐसे हिस्सों में बांटने वाले नेता ऐसे विषैलै बीज बो गये थे जिनका परिणाम कश्मीर में आतंक के रुप पनपा। कश्मीर में रहने वाले हिन्दू देश के दूसरे भाग में विवाह संबंध नही बना सकते।
धर्म के नाम पर निर्दोष आंतक के दानव के हाथों कटते रहे।आखिर भारत एक है तो ऐसी असमानता क्यों?
संपूर्ण भारत में समान नागरिकता का अधिकार है तो जम्मू में रहने के लिये अलग नियम क्यों हो?
ऐसे में देशहितार्थ ऐसा कदम उठाना सराहनीय है।
चलिये देखते है अनुच्छेद 370 और 35A आखिर है क्या?
Article/अनुच्छेद 35ए
जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के ‘स्थायी निवासी’ की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है। अस्थायी नागरिक जम्मू-कश्मीर में न स्थायी रूप से बस सकते हैं और न ही वहां संपत्ति खरीद सकते हैं। उन्हें कश्मीर में सरकारी नौकरी और छात्रवृत्ति भी नहीं मिल सकती। 1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान बनाया गया था। इस संविधान के अनुसार, स्थायी नागरिक वही व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा और कानूनी तरीके से संपत्ति का अधिग्रहण किया हो। इसके अलावा कोई शख्स 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या 1 मार्च 1947 के बाद राज्य से माइग्रेट होकर (आज के पाकिस्तानी सीमा क्षेत्र के अंतर्गत) चले गए हों, लेकिन प्रदेश में वापस रीसेटलमेंट परमिट के साथ आए हों। अनुच्छेद 35A को मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा इसे संविधान में जोड़ा गया।
राज्य जिन नागरिकों को स्थायी घोषित करता है केवल वही राज्य में संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी प्राप्त करने एवं विधानसभा चुनावों में मतदान का अधिकार रखते हैं। यदि जम्मू-कश्मीर का निवासी राज्य से बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करता है तो वह यह नागरिकता खो देगा। 1954 के जिस आदेश से अनुच्छेद 35A को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था।
राज्य जिन नागरिकों को स्थायी घोषित करता है केवल वही राज्य में संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी प्राप्त करने एवं विधानसभा चुनावों में मतदान का अधिकार रखते हैं। यदि जम्मू-कश्मीर का निवासी राज्य से बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करता है तो वह यह नागरिकता खो देगा।1954 के जिस आदेश से अनुच्छेद 35A को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था।
Article/अनुच्छेद-370
अनुच्छेद 370 के अनुसार,संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये। इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती. इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है।भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
इन्ही दो अनुच्छेदों को हटाकर आज स्वर्णिम इतिहास रचा गया है। देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते सभी से अनुरोध है कि सरकार का सहयोग कर पूरे देश में एक वतन एक तिरंगा के नारे का उद्घोष करे।
Article By – युवा लेखिका पायल सांवरिया ‘शानी’ उदयपुर
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Nandi Hills
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